जिसकी आखों से खुशियाँ
आँसू बन झलकती हैं
तपती धुप में भी
अपने लाल के लिए
एक पंथ छाँव को भटकती हैं
माँ कैसे करूँ तेरा शुक्रिया
जो तू ने मुझे जन्म दिया
खून से अपने गर्भ में सींचा
तेरे दूध से मैंने अमृतपान किया
तेरी दुआओं में मैं हमेशा रहा
मेरी सलामती की चिंता में
तुझे राह ताकते देखा
सफलता की ऊंचाइयो को छूना चाहा
तू ने हमेशा मेरा साथ दिया
आसमां में खुलकर उड़ना
कहकर मेरे सर पर हाथ रख दिया
तेरे आशीर्वाद से रोज़ निखरता हूँ मैं माँ
तुझे बहुत याद करता हूँ मैं माँ।।
Yr really..... Heart touching.... Grt.... ������
ReplyDeleteWoah! It really is heart pouring work Charu!;)
ReplyDeleteKeep it up!:)
And never
EVER
let this talent of yours fade away!;)
सुन्दर।
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