आज मैंने बचपन की मासूमियत को हँस्ते देखा
ऊँच नीच का भेद भुलाकर
संग साथ में झूमते देखा
ना दुनिया की कोई फिकर
ना खुद का कोई ठिकाना
बस देखा तो एक दूसरे में घुल जाना
इन्हें देख मुझे बचपन याद आया
आज मेरा बचपन फिर से मुस्कुराया
याद आया वो दोस्ती का सफ़र
वो गीली मिट्टी की महक का असर
वो बारिश की बूँदें
वो सावन के झूले
जिन्हें देख मानो लौट आया बचपन मेरा
आज फिर मैंने बचपन को जी के देखा
आज फिर मैंने बचपन की मासूमियत को हँस्ते देखा।।
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